आज है हरतालिका तीज, जानें विधि-विधान

by Mahima Bhatnagar

आज है हरतालिका तीज। इस दिन को भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के पर्व के रूप में मनाया जाता है। मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे, ताकि वो भगवान शिव को पति के रूप में पा सके। अंत में कठोर तप के बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था।

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सुहागनों के लिए यह व्रत सबसे उत्तम माना गया है। इस दिन शिव-पार्वती की उपासना करते हैं, जिसके करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को करती हैं, उन्हें मनचाहा वर मिलता है। इसलिए हर स्त्री के लिए ये व्रत विशेष लाभकारी माना गया है।

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हरतालिका दो शब्दों से बना है, हरित और तालिका। हरित का अर्थ है हरण करना और तालिका अर्थात सखी। यह पर्व भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिस कारण इसे तीज कहते है। इस व्रत को हरितालिका इसलिए कहा जाता है, क्योकि पार्वती की सखी (मित्र) उन्हें पिता के घर से हरण कर जंगल में ले गई थी।

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इस व्रत पर सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनकर, मेंहदी लगाकर, सोलह श्रृंगार करती हैं और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा आरम्भ करती हैं। इस पूजा में शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन किया जाता है और फिर हरतालिका तीज की कथा को सुना जाता है।

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