दुनिया के सबसे अमीर चीनी इंसान जैक मा हुए गायब?

by Mahima Bhatnagar
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नई दिल्ली। चीन और दुनिया के कुछ सबसे अमीर लोगों में शामिल जैक मा के बारे में संदेह जताया जा रहा है कि वे गायब हो गए हैं। जैक मा करीब दो महीने से किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं देखे गए हैं। खुद के बनाए उनके टीवी शो ‘अफ्रीका के बिजनेस हीरो’ में भी जैक मा की जगह पर किसी और भेज दिया गया है। अलीबाबा कंपनी से जब इसके बारे में पुछा गया तो उस के प्रवक्ता ने कहा कि शेड्यूल ना मिल पाने की वजह से जैक मा टीवी शो में शामिल नहीं हुए।

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जैक मा ने देश के ‘ब्‍याजखोर’ वित्‍तीय संस्थाओ और सरकारी बैंकों की पिछले साल अक्‍टूबर में कड़ी आलोचना की थी जिसके बाद से उनके लिए मुश्किलें खड़ी होने लगी थीं। उन्‍होंने वैश्विक बैंकिंग नियमों को ‘बुजुर्ग लोगों का क्‍लब’ करार दिया था।

इस भाषण के बाद चीन की सत्‍तारूढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी भड़क उठी और जैक के बिजनस के खिलाफ असाधारण प्रतिबंध लगाया जाना शुरू कर दिया गया। चीनी सरकार ने पिछले साल नवंबर में जैक मा को जोरदार झटका देते हुए उनके एंट ग्रुप के 37 अरब डॉलर के आईपीओ को निलंबित कर दिया था। वॉल स्‍ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, आईपीओ निलंबित करने का आदेश सीधा चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से आया था।

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चीन में अमीर लोगों के गायब होने की घटनाएं नई नहीं हैं। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 से 2017 के बीच चीन के कई अरबपति गायब हुए हैं । 2020 मार्च में एक प्रॉपर्टी बिजनसमैन रेन झीकियांग भी इसी तरह गायब हो गए थे। उन्होंने कोरोना वायरस की महामारी से खराब तरह से निपटने के लिए राष्ट्रपति शी को ‘जोकर’ कह डाला था। गायब होने के 6 महीने बाद उन्हें ‘अपनी मर्जी से और सच्चाई के साथ’ भ्रष्टाचार के अलग-अलग अपराध कबूल किए जिस पर उनको 18 साल जेल की सजा दी गई मतलब हमेशा के लिए काम खतम ।साल 2017 में अरबपति फाइनैंसर शियान जियानहुआ को हॉन्ग-कॉन्ग के एक होटेल से निकालकर चीन लाया गया और उसके बाद उनको किसी ने नहीं देखा।

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चीन में ऐसा होता है और किसी को पता भी नहीं चलता है। चीन में जो भी चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ बोलता है उसका गायब होना या उसके खिलाफ बदले की करवाई करने का आरोप चीन के सरकार पर हमेशा से लगता रहा है। चीन में एक पार्टी सिस्टम है जिसमे चीन की आर्मी से लेकर व्यापर तक चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के अधीन होता है न की देश की। चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का हर प्रस्ताव चीन के संविधान से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में आप चीन के नागरिक के तौर पर चीन के सरकार के खिलाफ नहीं बोल सकते जैसे की हमारे देश और दुनिया के और लोकतान्त्रिक देशो में होता है।

आमतौर पर हर मुद्दे पर मुखर चर्चा करने वाला संयुक्त राष्ट्र भी चीन के इन मुद्दों पर कोई संज्ञान नहीं लेता है और अगर जब भी वो ऐसा करना चाहता है तो चीन अपने सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यता के वीटो पावर का नाजायज इस्तेमाल करके इसको रोक देता है।

अब देखना है विश्व के पटल पर क्या चीन द्वारा किये इन अत्याचार पर क्या कोई गंभीर चर्चा हो पाएगी या जैसा चलता आया है वैसा ही चलता रहेगा ।