पंचत्तव में विलीन हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, नम आंखों के साथ अंतिम विदाई

by Mahima Bhatnagar

नई दिल्ली। ‘सपनों में मीत, बिखरा संगीत, ठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ, जीवन की ढलने लगी सांझ‘, देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंचत्तव में विलीन हो गए। वो हम सबको छोड़कर एक अलग दुनिया में चले गए। अब बस रह गई हैं, तो उनकी याद और कविताएं। जो हमेशा हमारे दिलों में उन्हें जीवंत रखेगी।

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अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे नेता थे जिन्हें कोई भी कभी भी नहीं भूल पाएगा। उनकी आवाज उनका चेहरा लोगों को हमेशा याद आएगा। कुछ ऐसी कविताएं हैं जो आज भी गुनगुनाने का मन करता है। ऐसा लगता है कि उन कविताओं को गुनगुनाने से वो हमारे सामने खड़े दिखाई देंगे।

‘गीत नहीं गाता हूं’

बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं

टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं

गीत नहीं गाता हूं

लगी कुछ ऐसी नजर बिखरा शीशे-सा शहर

अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं

गीत नहीं गाता हूं

पीठ में छुरी सा चांद, राहु गया रेखा फांद

मुक्ति के क्षणों में बार-बार बंध जाता हूं

गीत नहीं गाता हूं

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