बाइडेन की आर्थिक नीतियां भारत-अमेरिका के कारोबारी रिश्तों को कर सकती है मजबूत!

by Mahima Bhatnagar
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नई दिल्ली। अमेरिका में जो बाइडेन ने बुधवार को 46वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। इसी के साथ उन्होंने अमेरिका में बाइडेन युग की शुरूआत की। इसी सत्ता परिवर्तन पर दुनियाभर की नजर थी। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि, बाइडेन के आने से अमेरिका में आर्थिक नीतियों के मामले में स्थायित्व का एक दौर आएगा। उनके आने से खासकर भारत-अमेरिका के बीच कारोबारी रिश्ते और मजबूत होने की उम्मीद की जा रही है।

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व्यापार के मामले में इससे भारत- अमेरिका रिश्तों में भारी बदलाव हो सकता है। अमेरिका उन कुछ देशों में से है जिनके साथ भारत का व्यापार घाटा नहीं बल्कि अधिशेष यानी ट्रेड सरप्लस है। इसका मतलब यह है कि अमेरिका से भारत में सामान के आयात के मुकाबले भारत वहां निर्यात ज्यादा करता है।

क्या हैं चुनौतियां

हालांकि यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि व्यापारिक रिश्तों में तत्काल कोई बड़ा बदलाव आ जाएगा या अमेरिका भारत को तुरंत कोई बड़ी रियायत दे देगा। इसकी वजह यह है कि कोविड से निपटने में अमेरिका अर्थव्यवस्था की हालत पहले ही काफी खराब है और वहां बेरोजगारी काफी बढ़ी है।

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ऐसा माना जा रहा है बाइडेन ऐसी स्थायी और अनुकूल नीतियां बनाएंगे जो वैश्विक व्यापार के लिए फायदेमंद होगा और इसका लाभ भारत को भी मिलेगा। गौरतलब है कि, ट्रंप ने व्यापारिक मामलों को काफी मामलों को काफी अस्थायी तरीके से डील किया था। वे हार्ले डेविसन पर इम्पोर्ट ड्यूटी जैसे मामलों को लेकर काफी अड़ियल रवैया अपनाते रहे।

अंतरराष्ट्रीय रिश्ते सुधरने का फायदा

ट्रंप के कार्यकाल के दौरान खासकर ईरान और चीन से अमेरिका के रिश्ते काफी बिगड़ गए थे। चीन से अमेरिका के बीच कई साल तक जारी ट्रेड वॉर की वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ था और भारत पर भी इसका विपरित असर पड़ा था। अब उम्मीद है कि जो बाइडेन इस मामले मे किसी तरह का अड़ियल रवैया न अपना कर स्थायी नीतियां लागू करने की कोशिश करेंगे।

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फार्मा इंडस्ट्री को फायदा

बाइडेन ने अपने इलेक्शन मैनिफेस्टो में कहा था कि वे हेल्थकेयर पर खर्च बढ़ाएंगे और अफोर्डेबल केयर एक्ट यानि ओबामाकेयर का विस्तार करेंगे

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शेयर बाजार पर क्या होगा असर

अमेरिका में चुनाव नतीजे आने के बाद से ही शेयर बाजार मजबूत होने लगा है, इससे भारतीय शेयर बाजारों को कुछ नुकसान हो सकता है कि क्योंकि अब दुनिया से जो बड़े पैमाने पर पैसा भारतीय शेयर बाजार में आ रहा था उसमें कमी आ जाएगी और वह अमेरिकी बाजारों की ओर रुख करेगा।

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क्या हैं अनसुलझे मसले 

भारत-अमेरिका के बीच कई अनुसुलझे मसले हैं। अमेरिका ने भारत को अपने जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंस (GSP) के फायदों से बाहर कर दिया है, और भारत फिर से यह फायदे चाहता है। दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता जैसी बड़ी ट्रेड डील करने की कोशिश वर्षों से हो रही है।

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