Locusts टिड्डियों के अटैक से परेशान हुए कई राज्य

by Mahima Bhatnagar
locust tiddi

नई दिल्ली। टिड्डी वजन महज 2 ग्राम। खाती भी इतना ही है। लेकिन, जब यही टिड्डी लाखों-करोड़ों की तादाद में झुंड बनाकर हमला कर दे, तो चंद मिनटों में ही पूरी की पूरी फसल बर्बाद कर सकती है।फसलों को बर्बाद करने वाली टिड्डों की ये प्रजाति रेगिस्तानी होती है, जो सुनसान इलाकों में पाई जाती है।

टिड्डी एक बार फिर चर्चा में है। क्योंकि, अब टिड्डी दल ने भारत में घुसपैठ शुरू कर दी है। अब तक राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा की फसल टिड्डी दल ने खराब कर दी है। उत्तर प्रदेश के भी कुछ हिस्सों में टिड्डी दल पहुंच गया है। और दिल्ली की तरफ भी आ सकता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि टिड्डियों का झुंड हवा की दिशा में उड़ता है।

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एक दिन में 150 किमी तक उड़ सकती है टिड्डी

एक्सपर्ट का मानना है कि अगर हवा दिल्ली की तरफ चली तो अगले कुछ दिनों में टिड्डियां दिल्ली पहुंच जाएंगी। अगर दिल्ली में टिड्डियों का हमला होता है, तो ये बहुत खतरनाक भी होगा, क्योंकि यहां का ग्रीन कवर 22% है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक टिड्डी दिनभर में 100 से 150 किमी तक उड़ सकती और 20 से 25 मिनट में ही पूरी फसल बर्बाद कर सकती है। इन्हीं सब कारणों से इसे 27 साल बाद सबसे बड़ा टिड्डी हमला माना जा रहा है।

1993 में 7.18 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन आने वाले डायरेक्टोरेट ऑफ प्लांट प्रोटेक्शन, क्वारैंटाइन एंड स्टोरेज के मुताबिक, 1812 से भारत टिड्डियों के हमले झेलते आ रहा है।

1926 से 31 के दौरान टिड्डियों के हमले में 10 करोड़ रुपए की फसल बर्बाद हुई थी। इसके बाद 1940 से 1946 और 1949 से 1955 के बीच भी टिड्डियों का हमला हुआ। इसमें दोनों बार 2-2 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। 1959 से 1962 के बीच टिड्डी दल ने 50 लाख रुपए की फसल तबाह की।

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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1962 के बाद टिड्डियों का कोई ऐसा हमला नहीं हुआ, जो लगातार तीन-चार साल तक चला। लेकिन, 1978 में 167 और 1993 में 172 झुंड ने हमला कर दिया था। इसमें 1978 में 2 लाख रुपए और 1993 में 7.18 लाख रुपए की फसल बर्बाद हो गई थी।

1993 के बाद भी 1998, 2002, 2005, 2007 और 2010 में भी टिड्डियों के हमले हुए थे, लेकिन ये बहुत छोटे थे।

टिड्डियों का झुंड 35 हजार लोगों का खाना एक दिन में खा जाता है

किसान इंसानों के खाने के लिए फसल उगाते हैं और टिड्डियां इन फसल को खा लेती हैं। नतीजा भुखमरी होती है।

यूनाइटेड नेशन के अंतर्गत आने वाले फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) के मुताबिक, रेतीले इलाकों में पाई जाने वाली टिड्डियां सबसे खतरनाक होती हैं।

ये 150 किमी की रफ्तार से उड़ सकती हैं। एक किमी के दायरे में फैले झुंड में 15 करोड़ से ज्यादा टिड्डियां हो सकती हैं। इन टिड्डियों का 1 किमी के दायरे में फैला झुंड एक दिन में 35 हजार लोगों का खाना चट कर जाती हैं।

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टिड्डियों का एक झुंड 1 किमी के दायरे से लेकर सैकड़ों किमी के दायरे तक फैला हुआ हो सकता है। 1875 में अमेरिका में 5 लाख 12 हजार 817 स्क्वायर किमी का झुंड था। मतलब इतना बड़ा कि उसमें दो उत्तर प्रदेश समा जाएं। उत्तर प्रदेश का एरिया 2 लाख 43 हजार 286 स्क्वायर किमी है।

फसलों को टिड्डियों से बचाने के लिए डीजे तक बजा रहे लोग

फसलों को टिड्डियों से बचाने का वैज्ञानिक तरीका तो किटनाशकों का छिड़काव है। लेकिन, हमारे किसान अपने तरीके भी आजमाते हैं। इस साल पहली बार छत्तीसगढ़ में भी टिड्डियों का हमला होने का अंदेशा है। लिहाजा, लोगों ने पहले ही उन्हें भगाने के लिए डीजे बुक करवा लिए हैं।

कई जगहों पर किसान टिड्डियों को भगाने के लिए थालियां पीटते हैं। तेज गाने बजाते हैं। आग जलाते हैं। यहां तक कि खेतों में बीच-बीच में ट्रेक्टर भी चलाते हैं।

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