बॉलीवुड फ़िल्मो के कभी न भुला पाने वाले सीन्स और डॉयलॉग

by Mahima Bhatnagar
mr. india

बॉलीवुड भारतीय फिल्म इंडस्ट्री जिससे कोई भी अनछुए नहीं रहा है। बॉलीवुड की फ़िल्में किसी न किसी रूप में अपनी छाप छोड़ ही जाती हैं कभी अच्छे गानों के रूप में तो कभी अच्छी कहानी के रूप में तो कभी अभिनय के रूप में और कुछ फ़िल्में ऐसे होती हैं जो हर रूप में अपनी छाप छोड़ देती हैं। ऐसी ही कुछ फ़िल्मो के डायलॉग्स जो अभी तक लोगों के ज़ुबान पर आते रहते हैं-

मुगलेआज़म (1960) -अभिनेत्री मधुबाला अभिनेता पृथिवीराज कपूर और अभिनेता दिलीप कुमार अभिनीति यह फिल्म आज भी लोगों की दिलों में बसती है। सलीम और अनारकली की प्रेमकहानी पर आधारित इस फिल्म में वैसे तो बहुत ऐसे संवाद है जो भूले नहीं जा सकते हैं। परन्तु इनमे से पृथिवीराज कपूर  एक डॉयलॉग “अनारकली सलीम की मोहब्बत तुम्हे मरने नहीं देगी और हम तुम्हे जीने नहीं देंगे” अत्यंत प्रचलित हुआ था ।

इसे भी पढ़ें: अर्जुन कपूर ने मलाइका संग शादी को लेकर तोड़ी चुप्पी ,कही बड़ी बात

आनंद  (1971) -राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की यह फिल्म ज़िंदगी के नए नज़रिये को दर्शाती है जिसमे ख़ुशी भी है और गम भी और इनसे जुड़ी यादें भी है। इस फिल्म का सबसे प्रचलित डॉयलॉग जो की अभिनेता राजेश खन्ना द्वारा कहा गया था “बाबू मोशाय ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं”।

अमर प्रेम (1972) -अभिनेता राजेश खन्ना और अभिनेत्री शर्मीला टैगोर की यह फिल्म एक अनकहे से अमर प्रेम की कहानी है। इस फिल्म का सबसे प्रचलित डॉयलॉग जो की अभिनेता राजेश खन्ना द्वारा कहा गया था “पुष्पा , आई हेट टीयर्स”।

दीवार (1975) – अभिनेता शशि कपूर और अमिताभ बच्चन की ये फिल्म दो भाइयों की कहानी है। इस फिल्म सबसे प्रचलित डॉयलॉग “मेरे पास गाड़ी है बांग्ला है तुम्हारे पास क्या है ?” ,” मेरे पास माँ है” ।

इसे भी पढ़ें: फानी तूफान बना लोगों के लिए आफत

शोले (1975) -अभिनेता अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की इस फिल्म के जय, वीरू, बसंती, ठाकुर और गब्बर सिंह को कोई नहीं भुला सकता । इस फिल्म  के दो डॉयलॉग अत्यन्य प्रचलित है “बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना”और “अरे ओ सांभा कितने आदमी थे”।

डॉन  (1978) – अभिनेता अमिताभ बच्चन की यह फिल्म 90 के दशक के साथ-साथ आज भी प्रचलित है। इस फिल्म रीमेक भी बनाया जा चुका है जिसमे शाहरुख़ खान ने बतौर लीड एक्टर काम किया था। इस फिल्म का सबसे प्रचलित डॉयलॉग , “डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं , नामुमकिन है”।

शहंशाह  (1988) -अभिनेता अमिताभ बच्चन की यह फिल्म में ऐसे किरदार पर आधारित है जो दिन में पुलिस अफसर और रात में बुराई के खिलाफ लड़ने वाला शहंशाह होता है। इस फिल्म का सबसे प्रचलित डॉयलॉग “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं नाम है शहंशाह” है।

मिस्टर इंडिया (1987) –अभिनेता अनिल कपूर की यह फिल्म 90 के दशक में काफी हिट रही थी। इस फिल्म में विलेन का किरदार अभिनेता अमरीश पूरी जी ने निभाया था और इनका डॉयलॉग “मुगैम्बो खुश हुआ” काफी प्रचलित हुआ था और आज भी बहुत प्रचलित है।