लंबे इंतजार के बाद अब बनेगा राम मंदिर

by Mahima Bhatnagar
Ram Mandir

नई दिल्ली। अयोध्या में पांच सदी के बाद अब राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या जाकर राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। अयोध्या में भूमि पूजन को भव्य बनाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बीते सप्ताह सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अयोध्या जाकर तैयारियों का जायजा लिया था। कोरोना संक्रमण की वजह से सीमित संख्या में ही लोग इस आयोजन का हिस्सा बन सकेंगे। राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से भी अपील की गई है कि लोग भूमि पूजन के दिन को पर्व की तरह मनाएं और अपने-अपने घरों में रहकर ही दीप जलाएं।

बता दें कि माना जाता है कि बाबर के दौर में अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण कराया। पिछले पांच सदी से यह विवाद था, जिसने देश की राजनीतिक दशा और दिशा को बदल दिया है। आजादी के बाद से अबतक इस विवाद ने देश की राजनीति को प्रभावित किया है। अयोध्या को लेकर देश भर में आंदोलन किए गए, कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई और सुप्रीम कोर्ट के जरिए राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। अब जाकर मंदिर के भूमि पूजन की तारीख भी तय हो चुकी है।

इसे भी पढ़ें: कई धर्मों से अयोध्या का रहा खास नाता

अयोध्या आंदोलन की टाइमलाइन-

मंदिर तोड़कर क्या मस्जिद बनवाई?

मुगल राजा बाबर के सेनापति मीर बाकी ने यहां मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। बाबर 1526 में भारत आया. 1528 तक उसका साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया। इसके बाद करीब तीन सदियों तक के इतिहास की जानकरी किसी भी ओपन सोर्स पर मौजूद नहीं है।

जब पहली बार अयोध्या में दंगे हुए थे

अयोध्या में इस मुद्दे को लेकर हिंदू-मुस्लिम हिंसा की पहली घटना 1853 में हुई थी। जब निर्मोही अखाड़े ने ढांचे पर दावा करते हुए कहा कि जिस स्थल पर मस्जिद खड़ी है। वहां एक मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के शासनकाल में नष्ट किया गया. अगले 2 सालों तक इस मुद्दे को लेकर अवध में हिंसा भड़कती रही फैजाबाद जिला गजट 1905 के अनुसार 1855 तक, हिंदू और मुसलमान दोनों एक ही इमारत में पूजा या इबादत करते रहे।

पहली बार जिला अदालत में पहुंचा यह विवादित मामला

मंदिर-मस्जिद विवाद कुछ सालों में इतना गंभीर और भयावह हो गया कि मामला पहली बार अदालत में गया। हिंदू साधु महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद परिसर में राम मंदिर बनवाने की इजाजत मांगी, हालांकि अदालत ने ये अपील ठुकरा दी। इसके बाद से मामला गहराता गया और सिलसिलेवार तारीखों का जिक्र मिलता है।

इसे भी पढ़ें: वायु सेना की ताकत को कैसे दोगुनी करेगा राफेल

रामजन्मभूमि मुक्ति समिति का गठन किया गया

विश्व हिंदू परिषद ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। उसी समय गोरखपुर को गोरखनाथ धाम के महंत अवैद्यनाथ ने राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनाई। अवैद्यनाथ ने अपने शिष्यों और लोगों से कहा था कि उसी पार्टी को वोट देना जो हिंदुओं के पवित्र स्थानों को मुक्त कराए। बाद में इस अभियान का नेतृत्व भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाल लिया।

विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर का शिलान्यास किया

भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन दिया। वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से मंदिर के दावे का मुकदमा किया। नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया।

आडवाणी की रथ यात्रा बिहार में रोकी गई, गिरफ्तार हुए

भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली ताकि हिंदुओं को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराया जा सके। हजारों कार सेवक अयोध्या में जमा हुए। इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए। ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए। 23 अक्टूबर को बिहार में तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। लेकिन मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लाखों ईंटें अयोध्या भेजी गईं। इसके बाद भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

इसे भी पढ़ें: राफेल की क्या है खासियत, भारत के लिए क्यों है इतना जरूरी

बाबरी मस्जिद ढहा दी गई, देश में दंगे शुरू

30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई। नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया। इसे विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दी। अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे। इसमें करीब 2000 लोग मारे गए।

सरकार को सौंपी गई शिलाएं

विश्व हिंदू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात पर समझौता हुआ कि विहिप के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत परमहंस रामचंद्र दास और विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में लगभग 800 कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारी को अखाड़े में शिलाएं सौंपीं।

राहुल गांधी बोले- नेहरू-गांधी परिवार का पीएम होता तो मस्जिद न गिरती

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनावी दौरे के बीच कहा कि अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती। उनके इस बयान पर पूरे देश की राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी।

कोर्ट का फैसला- तीन हिस्सों में बांट दिया गया विवादित स्थल

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इसके तहत विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा दिया गया। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला।

इसे भी पढ़ें: कोरोना वायरस: देश भर में इस बार कैसे मनाया जाएगा 15 अगस्त?

रिजवी बोले- विवादित स्थल पर राम मंदिर बने

8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बड़ा बयान दिया था। रिजवी ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनना चाहिए, वहां से दूर हटके मस्जिद का निर्माण किया जाए। 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की कोशिश की, उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने 8 फरवरी तक सभी दस्तावेजों को पूरा करने के लिए कहा।

अयोध्या पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला

बनेगा राम मंदिर, मस्जिद के लिए अलग जगह।

राम मंदिर पर सबसे बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला सुनाया। इसके तहत कोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को राम लला विराजमान को देने का आदेश दिया। साथ ही मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन माह के भीतर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश भी दिया था।

राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का ऐलान

राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम मोदी ने संसद में 15 सदस्यीय श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैसला दिया था और तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने की मियाद तय की थी। मोदी सरकार ने ट्रस्ट को कैबिनेट की मंजूरी दिलाने के बाद बिल संसद में पेश किया।

राम मंदिर के भूमि पूजन की तारीख तय

राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक हुई, जिसमें पीएमओ को मंदिर के भूमि पूजन के लिए दो तारीखें भेजी गईं। पीएमओ के भेजे प्रस्ताव में 3 और 5 अगस्त में से किसी एक दिन पीएम मोदी को अयोध्या में भूमि पूजन के लिए आने का न्योता दिया गया। साथ ही मंदिर के डिजाइन को लेकर भी इस बैठक में अहम फैसले लिए गए।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या का दौरा कर भूमि पूजन की तैयारियों का जायजा लिया. साथ ही उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा कि 5 अगस्त को भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या आ रहे हैं. कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीमित संख्या में ही लोग इस भव्य आयोजन में शामिल हो सकेंगे।