‘सुपर 30’ के सारे बच्चे सुपर

by TrendingNews Desk

मशहूर गणितज्ञ आनंद कुमार की मेहनत इस साल भी रंग लायी जब उनके संस्थान सुपर 30 के सभी बच्चे जेईई एडवांस की परीक्षा में सफल घोषित हुए| पिछले सालों की अपेक्षा इस साल भी पटना के सुपर 30 संस्थान में पढ़ने वाले सभी बच्चों ने जेईई एडवांस में सफलता पायी है| सुपर 30 की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों को आईआईटी-जेईई की तैयारी कराई जाती है| इस सफलता पर बिहार के पटना स्थित संस्थापक आनंद कुमार ने कहा कि इन बच्चों ने यह साबित कर दिया है कि अगर इन्हें मौका मिले तो ये कुछ भी कर सकते हैं|सभी 30 बच्चों की सफलता के बाद आनंद कुमार ने एक फेसबुक पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने काफी मर्मस्पर्शी तरीके से अपने सपनों के बारे में लिखा है,जरा आप भी पढ़िए –”आंसुओं से नज़रें चुराकर हंसने का हुनर देखना है तो सुपर 30 के आंगन में एक बार आइएगा जरूर| आज फिर से सुपर 30 के अपने आंगन में मैं कई सपनों को करवटें बदलते देख रहा हूँ| सफलता के शोर में गुरबत के दर्द को सिमटते देख रहा हूँ| पिछले 15 वर्षों से मैं हर साल यही अनुभव करते आ रहा हूँ| कामयाबी और सपनों में बड़ा गहरा रिश्ता होता है| जब मेहनत इरादों के रथ पर सवार होकर अपने सफर पर चल पड़ती है तो लाख मुसीबतों के बाद भी सफलता कदम चूमने को बेकरार हो जाती है| और इस बार के आई.आई.टी. प्रवेश परीक्षा के रिजल्ट में मेरे सभी 30 बच्चों ने सफलता के झंडे गाड़कर यह सिद्ध भी कर दिया है| चाहे बेरोजगार पिता का बेटा केवलिन हो या सड़क किनारे अंडे बेचने वाले का बेटा अरबाज आलम हो, खेतों में मजदूरी करने वाले का बेटा अर्जुन हो या फिर भूमिहीन किसान का बेटा अभिषेक| इन सभी 30 बच्चों ने घनघोर आर्थिक पिछड़ेपन के काले बादलों का सीना चीरकर अपने सफलता की रौशऩी से पूरे समाज को रौशन कर दिया है|

मैं आपने आपको बड़ा भाग्यशाली समझता हूँ क्योंकि मुझे मेरे पूरे परिवार के प्रत्येक सदस्य खासकर छोटे भाई प्रणव के साथ-साथ उन सभी शिक्षकों का सहयोग भी मुझे हासिल है, जो बच्चों के सफलता के लिए रात-दिन एक कर देते हैं|आज मेरे बच्चों ने मुझे कुछ और बड़ा करने का हौसला दिया है| बहुत ही जल्द मैं सुपर 30 का दायरा बड़ा करने जा रहा हूं| देश के कई हिस्सों में मैं घूम-घूम कर टेस्ट आयोजित करूंगा| ताकि 30 से ज्यादा बच्चों को उनकी मंजिल तक पहुंचा सकूं| मैं हर साल 30 बच्चों को अपने घर में रखता हूँ और खून-पसीने के अपने गाढ़ी कमाई के पैसे से ही उनके और अपने परिवार के लिए भोजन-भात का इंतजाम करता हूँ| आज तक मैंने किसी से एक रुपया चंदा नहीं लिया|

आगे सुपर 30 को बड़ा करने के लिए मुझे किसी से पैसे नहीं चाहिए| हां, आपके सपने जरूर चाहिए| और चाहिए आपका आशीर्वाद| मैंने सुना है कि दुआओं में बड़ी ताकत होती है| तो आइये समय निकालकर कभी मिलने सुपर 30 के बच्चों से| रहेगा आपका इंतजार.”