रावण को क्यों कहा जाता है राक्षस

by Mahima Bhatnagar
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रावण को लेकर हिन्दुस्तान में कई तरह की कहानियाँ हैं। एवं भारत में अलग-अलग जगह रावण की अलग-अलग प्रकार की छवि है। कहीं रावण को भगवन माना जाता है तो कही राक्षस। इसके पीछे कई प्रकार की कहानियाँ प्रचलित हैं।

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दैविक एवं प्रारब्ध संबंधों के चलते कुछ शाप बहुत प्रसिद्द हैं जिनके अनुसार इस श्राप के दौरान जब कोई राक्षस योनी में पैदा होता है तो उसे राक्षस कहा जाता है। कुछ यही दशा थी लंकापति रावण की। इसके साथ ही रावण अपने दस सिरों के कारण भी काफी प्रसिद्द था। इसके साथ ही जब रावण ने सीता हरण किया था तब उसने अपने रूप में बदलाब किया था एवं एक साधू का वेश रखा था। जिसके चलते माँ सीता रावण के जाल में फंस गयी थीं और उन्होंने लक्ष्मण रेखा पार की थी। इस प्रकार का चरित्र प्रस्तुत करके रावण ने एक राक्षस प्रजाति का परिचय दिया था। जब भगवान् राम ने रावण का वध किया तो ऐसा कहा गया था कि भगवान् राम ने एक राक्षस का वध किया है। तभी से रावण को राक्षस कहा गया।

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पुराणों के अनुसार रावण एक राक्षस प्रजाति के ही अंतर्गत आता था लेकिन अपनी बुद्धिमता एवं अपने अच्छे स्वाभाव के कारण उसने लंका पर राज किया एवं वहाँ की प्रजा को बखूबी सम्हाला भी था। इसलिए श्रीलंका में रावण को राक्षस नहीं बल्कि भगवान् माना जाता है एवं वहाँ रावण के मंदिर भी बनाये गए हैं। इसी तरह जगह-जगह की कहानियाँ विभिन्न हैं। किसी के लिए रावण राक्षस है तो किसी के लिए भगवान्। सबके सामने रावण के चरित्र की परिभाषा अलग है।

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रावण को राक्षस बताये जाने की कई सारी वजह हैं जैसे सीता हरण, राक्षस कुल में पैदा होना, दस मुख होना इत्यादि। इन सबके अनुसार रावण के चरित्र को धार्मिक ग्रंथों में कई तरह से परिभाषित किया गया है। इन ग्रंथों में रावण के कई अच्छे रूप और चरित्र को भी बताया गया है। तो रावण को सिर्फ राक्षस कहना भी गलत होगा क्योंकि कुछ जगह उसका व्यक्तित्व बहुत अच्छा था। रावण को राक्षस कुल में पैदा होने के कारण और कई जगह गलत व्यवहार के कारण राक्षस कहा गया। लेकिन रावण के चरित्र के भी दो पहलु थे।