सावन का महत्व: क्या करें, क्या ना करें

by Mahima Bhatnagar

नई दिल्ली। ‘ऊँ नमः शिवाय’…वैसे तो भगवान की वंदना करने का कोई दिन नहीं होता, लेकिन एक खास समय में पूजा का विशेष लाभ जरूर होता है। ऐसा ही सबसे पवित्र महीना है सावन, जिसमें हम भोले बाबा की अराधना करते हैं। सावन का ये पावन महीना पूरे 30 दिनों तक का होता हैं। जिसकी शुरूआत 27 जुलाई से हो रही है।

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शास्त्रों के अनुसार, सावन के महीने में भगवान भोले खुद धरती पर आते हैं, और अपने भक्तों की मुराद पूरी करते हैं। इन दिनों आपको हर तरफ बम बम भोले के जयकारे सुनाई देंगे। हर कोई शिवमय हो जाता है।

क्यों खास होता है सावन का महीना

पौराणिक कथाओं में इस महीने का एक अलग महत्व है, कहा जाता है कि इसी महीने में देवी सती ने अपने पिता के घर योगशक्ति से शरीर का त्याग कर दिया था। लेकिन देवी सती ने शिव जी से कहा था कि, मैं आपको हर जन्म में अपने पति के रूप में पाना चाहती हूं। जिसके बाद देवी सती ने पार्वती के रूप में जन्म लिया और भगवान शिव की सच्चे मन से अराधना की उनकी आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने उनसे विवाह कर लिया। तभी से ये महीना शिवजी के लिए प्रिय हो गया।

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इन चीजों का नहीं करना चाहिए सेवन

सावन का महीना शिव जी का प्रिय महीना होता है, ऐसे में कोई इसमें सावन के सोमवार का व्रत करता है, तो कोई कांवड लेकर आता है। ऐसे में आपको अपने घरों में मास, मदीरा, प्याज और लहसून जैसी चीजों का परहेज करना चाहिए। क्याोंकि इस महीने को पवित्र महीना भी कहा जाता है।

 

 

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जलाभिषेक का महत्व

सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक करना आवश्यक माना जाता है। कहा जाता है कि इससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसलिए इस महीने में कई लोग कांवड़ भी लाते हैं। कांवड़ में गंगा का पवित्र जल भरकर लाया जाता है जिससे भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।

 

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कहानियां कई हैं, लोगों की मान्यता कई हैं, लेकिन भोले की अराधना करने का तरीका सबका एक है। भगवान शिव हर किसी के मन में बसते हैं… कोई उन्हें भोले भंड़ारी कहता है तो कोई नीलकंठ। सुबह-सुबह शिव का नाम ही आपका काम बना देता है। ‘ऊँ नमः शिवाय’