बिहार के मुंगेर जिले में एक ऐसा मंदिर जहां होती हैं आंखों की सारी समस्याएं दूर

by Mahima Bhatnagar

बिहार के मुंगेर जिले में एक ऐसा मंदिर है जो आंखों से जुड़ी हर प्रकार की परेशानी दूर करने के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर मां चंडिका का दरबार है और भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि जब शिव क्रोधित होकर सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर रहे थे तो यहां सती की बाईं आंख गिरी थी।

इसे भी पढ़ें: बिहार में प्रसिद्ध है शिव-पार्वती का यह मंदिर, जानें क्या है खास

नेत्र रोगों से छुटकारा

इस मंदिर में लोग आंखों की पीड़ा को दूर करने की उम्मीद लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां का काजल हर प्रकार का नेत्रविकार दूर करता है, इसलिए लोग दूर-दूर से केवल यहां का काजल लेने आते हैं। वैसे तो यहां पूरे साल मां के भक्तों की भीड़ रहती है लेकिन नवरात्र में प्रार्थियों की संख्या बहुत ज्यादा होती है।

श्मशान चंडिका

यह मंदिर गंगा के किनारे स्थित है और दिलचस्प रूप से इसके पूर्व और पश्चिम में श्मशान है। इसी कारण इस मंदिर को ‘श्मशान चंडिका’ के रूप में भी जाना जाता है। नवरात्र के दौरान कई तांत्रिक यहां तंत्र सिद्धि के लिए जमा होते हैं।

इसे भी पढ़ें: क्या है गुप्तधाम की महिमा, शिव भगवान के वहां विराजने के पीछे की कहानी

अष्टमी के दिन यहां विशेष पूजा होती है और इस दिन माता का भव्य श्रृंगार किया जाता है। मान्यता है कि आंखों के अलावा भी यहां की गई हर मनोकामना पूर्ण होती है।

महाभारत युग से जुड़ी कथा

मंदिर के विषय में एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है जो महाभारत युग से जुड़ी है। कथा के अनुसार अंग देश के राजा कर्ण मां चंडिका के भक्त थे और रोजाना खौलते हुए तेल की कड़ाह में कूदते थे। इस प्रकार अपनी जान देकर वह मां की पूजा किया करते थे।