बिहार का तिलकुट नहीं खाया तो कुछ नहीं खाया…

by Mahima Bhatnagar
पटना

ठंड शुरु होते ही बिहार की राजधानी पटना के तमाम गली मोहल्लों में तिल से बने तिलकुट की दुकाने सजने लगी हैं। वही दुकानों से तिल की सौंधी सी खुशबू एवं तिल को कुटने की धम – धम की आवाज तिलकुट के दिवानों को दिवाना बना रही है।यूं तो सबसे स्वादिष्ट तिलकुट गया के कारिगरों के द्वारा निर्मित किया गया होता है लेकिन पैसे कमाने की चाह में बरसों पहले गया के तिलकुट कारीगरों ने पटना का रुख किया। आज गया के कई तिलकुट कारोबारी पटना में रह कर तिलकुट उद्योग में लगे हुए हैं।

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कैसे बनता है तिलकुट…?

तिलकुट जितना स्वादिष्ट होता है उसे बनाना उतना ही कठिन । तिलकुट की कई तरह की वैयराईटी आज बाजार में उपलब्ध है। जैसे – खोआ,चिन्नी,गुड़ आदि। इसे बनाने की प्रक्रिया के दौरान मुख्य रुप से उजले तिल को धो कर सुखाने के बाद इसे आग पर भुना जाता है। इसके बाद चिन्नी के चासनी से निर्मित लट्टे को भुने तिल के साथ कारिगरों के द्वारा कुटा जाता है। और अंत में तिलकुट को गोल आकृति दी जाती है।

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ठंड में काफी उपयोगी है

तिलकुट जितना स्वादिष्ट होता है इसके फायदे भी उतने ही हैं। दरअसल ठंड़ के मौसम में शरीर में गर्माहट लाने के लिए तिल काफी उपयोगी माना जाता है। इसलिए ठंड में तिलकुट कीबिक्री काफी बढ़ जाती है। यकीनन  बिहार का मशहूर तिलकुट आज किसी भी पहचान का मोहताज नहीं है। आज केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी तिलकुट की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है।

क्या कहते हैं कारोबारी..?

दशकों से तिलकुट कारोबार से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि इन दिनों बाजार में तिलकुट की मांग काफी बढ़ी है। लिहाजा मांग को देखते हुए उन्हें दिन-रात मेहनत करनी पड़ रही है। कारोबारियों का कहना है कि यह व्यवसाय यहां कई लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख साधन भी है। खास कर ठंड के मौसम में पटना एवं आसपास के गांवों  से कई कारीगर राजधानी पटना में आते हैं और तिलकुट व्यवसाय से जुड़ जाते हैं।

तो जाहिर है कि तिलकुट का नाम सुनकर आपके भी मुंह में पानी आ गया होगा। तो अब आप भी इस ठंड में बिहार के मशहूर तिलकुट के लजीज स्वाद का मजा उठाइए।

 

Report ”Manish Srivastava”