UPSC की परीक्षा में बिहारी छात्र-छात्राओं का जलवा

by TrendingNews Desk

यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में इस साल बिहार के छात्र-छात्राओं ने अपना लोहा मनवाया है| राज्य से इस बार कुल 31 परीक्षार्थियों ने बाजी मारी है| राज्य भर में सबसे अच्छा रैंक सारण जिले के मढ़ौरा के रहने वाल सोमेश ने पाया है| उसे देशभर में चौंतीसवां जबकि बिहार की बात करें तो बिहार में पहला रैंक हासिल हुआ है| सोमेश की पढ़ााई की कहानी भी किसी संघर्षपूर्ण कहानी से कम नहीं ट्यूशन पढ़ाकर सोमेश ने खुद की जरुरतें पूरीं की और आज बिहार में टॉप किया|
सोमेश की दसवीं की पढ़ाई बंगाल बोर्ड से हुई, 12वीं की पढ़ाई उसने साइंस स्ट्रीम से देवघर से की, बीएससी सेंट जेवियर्स कॉलेज कोलकाता से हुई है। फिर टाटा रिसर्च इंस्टीट्यूट से एमएससी करने के बाद 2014 में यूपीएससी की तैयारी में जुट गए।
लेकिन अगले ही साल 31 मई 2015 को पिता उपेंद्र उपाध्याय का निधन हो गया। इसके बाद सोमेश पर मानों दुखों का पहाड़ टूट गया। लेकिन इस परिस्थिति में भी सोमेश ने हिम्मत नहीं हारी वो सोमेश कहते हैं तब चाचा ने हौसला बढ़ाया। सोमेश का परिवार शुरू से ही आर्थिक तंगी से जूझता रहा है। उसके पिता कोलकाता में प्राइवेट कंपनी में कर्मचारी थे। उनके निधन के बाद सोमेश और उनकी दो छोटी बहनों ने ट्यूशन पढ़ाकर घर चलाया। यूपीएससी की तैयारी के दौरान भी सोमेश ट्यूशन पढ़ाते थे।
प्रेरणा दीक्षित ने पहले ही प्रयास में पाई सफलता
समस्तीपुर जिले के श्रीकृष्णापुरी मोहल्ला निवासी प्रेरणा दीक्षित ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएसएसी की परीक्षा में सफलता हासिल कर जिले का नाम पूरे देश में रोशन किया है। उन्हें ऑल इंडिया में 57वां रैंक मिला है। समस्तीपुर में पली-बढ़ीं प्रेरणा ने दसवीं की परीक्षा समस्तीपुर से ही पास की थीं। 12वीं उन्होंने पटना सेंट्रल स्कूल से किया। इसके बाद वेल्लोर से बायोटेक की पढ़ाई की। इसके बाद एनआइटी राउरकेला से एमटेक की डिग्री लीं।
इस दौरान उन्होंने इंडियन फॉरेस्ट ऑफिसर की परीक्षा दी। पहली बार में ही उन्हें इसमें सफलता मिल गई। वहां 16 वां रैंक मिला था। वर्तमान में वे झारखंड के रामगढ़ में डीएफओ के पद पर आसीन हैं। इस बार उन्होंने अपनी किस्मत यूपीएससी की परीक्षा में आजमाई और पहले ही प्रयास में 57 वां रैंक मिला।
दरभंगा की सौम्या को 58 वां रैंक
यूपीएससी परीक्षा में शहर की बेटी डॉ. सौम्या झा को 58 वां रैंक मिला है। उसे यह सफलता पहले प्रयास में ही मिली। प्रारंभिक शिक्षा बंगाली टोला में हुई। डीपीएस आरके पुरम दिल्ली से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। डा. सौम्या कहती हैं कि जिस प्रकार एक चिकित्सक लोगों की सेवा में रत रहता है, उसी प्रकार प्रशासनिक अफसर बनकर समाज सेवा करूंगी।
तन्मयता से स्वाध्याय किया जाए तो किसी परीक्षा में सफलता तय है। इसके लिए किसी बड़े कोचिंग संस्थान या स्कूल में नामांकन जरूरी नहीं है। ऑनलाइन टीचिंग से स्वाध्याय और भी आसान हो गया है।
सहरसा के राकेश ने पाया 138वां रैंक
सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में बघवा गांव के रहने वाले राकेश रंजन ने भी यूपीएससी परीक्षा में 138वां रैंक लाकर जिले का मान बढ़ाया है।
सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में बघवा गांव के रहने वाले राकेश रंजन ने भी यूपीएससी परीक्षा में 138वां रैंक लाकर जिले का मान बढ़ाया है। झारखंड सर्किल में पोस्ट एंड टेलीग्राफ में डिप्टी डायरेक्टर, फाइनांस के पद पर कार्यरत राकेश ने यह सफलता कड़ी मेहनत के बूते हासिल की है।
मोतिहारी के अजीत को 1094 वां रैंक
सामान्य परिवार के अजीत कुमार ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की है। उन्हें 1094 वां रैंक मिला है। वे अभी मोतिहारी स्थित उप कृषि निदेशक के कार्यालय में क्लर्क पद पर कार्यरत हैं। जिले के गोविंदगंज के सरेया महुआवा निवासी स्व. रघुनाथ प्रसाद व कांति देवी के पुत्र अजीत कुमार की सफलता से जश्न का माहौल है। अजीत के पिता रघुनाथ प्रखंड कृषि पदाधिकारी थे।
कुमार संंभव को 714वां रैंक
मुंगेर जिले के तारापुर अंतर्गत टेटिया बम्बर गांव निवासी कुमार संभव ने प्रथम प्रयास में ही सिविल सेवा की परीक्षा में 714 वां रैंक हासिल किया है।कुमार संभव ने केंद्रीय विद्यालय से दसवीं की परीक्षा पास कर चिन्मया विद्यालय बोकारो स्टील सिटी से 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद आइआइटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। कुमार संभव का अनुज भी दिल्ली आइआइटी से इंजीनियरिंग कर रहा है। सिविल सेवा में चयन होने पर परिजन के साथ-साथ कहलगांव एनटीपीसी सहित केंद्रीय विद्यालय के शिक्षकों में ख़ुशी की लहर है।