क्यों रखा जाता है करवाचौथ का व्रत

by Mahima Bhatnagar
karwa chauth

हिन्दू धर्म में करवाचौथ का विशेष महत्व हैं एवं सुहागन स्त्री के लिए यह उपवास बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन किया जाता है। यह उपवास महिलाएँ बिना जल एवं भोजन के रखती हैं। एवं शाम को चाँद दिखने के बाद चाँद की पूजा के बाद पति की पूजा करके उनके हाथ से जल ग्रहण करती हैं। करवाचौथ का व्रत कई सदियों से किया जाता रहा है एवं इसके पीछे कई कहानियाँ प्रचलित हैं।

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एक कहानी के अनुसार सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए निवेदन किया था एवं इसके लिए कठिन तपस्या की थी। तब से स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु के लिए यह व्रत कर रही है। एक कहानी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने इस दिन का उपवास भगवान् शंकर के लिए रखा था और उसी मान्यता के चलते आज भी उसी नियम का पालन किया जा रहा है।

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यह व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा है और आज तक पुरे नियम से यह व्रत घर-घर में सुहागनों द्वारा किया जा रहा है। यह उपवास बहुत ही कठिन होता है। क्योंकि इसमें स्त्रियाँ जल भी ग्रहण नहीं करती। भोजन के बिना तो इंसान रह सकता है लेकिन पानी के बिना रहना बहुत मुश्किल होता है। फिर भी इस कठिन व्रत को स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखती हैं। एवं चन्द्रमा के निकलने के बाद पूजा के उपरांत ही भोजन ग्रहण करती हैं। यह बातें सुनने में इतनी कठिन नहीं लगती लेकिन जब यह उपवास किया जाता है तब एक-एक मिनट बिना जल और भोजन के निकालना मुश्किल होता है।

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करवाचौथ के उपवास रखने के लिए सबसे बड़ा तथ्य यह है कि सदियों की मान्यता एवं हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथों के अनुसार यह व्रत पति रक्षा के लिए किया जाता है। और आज भी यह व्रत सुहागन स्त्रियों द्वारा पूर्ण श्रद्धा से किया जाता है। यह उपवास विशेष फलदायी होता है एवं इस दिन मुख्यतः भगवान् गणेश और चन्द्रमा की पूजा की जाती है। एवं बड़ों के आशीर्वाद को भी विशेष महत्व दिया गया है।