देशद्रोह मामले में पाक के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा

by Mahima Bhatnagar
Parvez

नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई गई है। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार पेशावर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में सजा सुनाई गई। फिलहाल, परवेज मुशर्रफ दुबई में हैं। 3 नवंबर, 2007 को देश में इमरजेंसी लगाने के जुर्म में परवेज मुशर्रफ पर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था।

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मुकदमे की लंबित कार्यवाही पर रोक

इससे पहले परवेज मुशर्रफ ने लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे की लंबित कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया था।

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, वकीलों- ख्वाजा अहमद तारिक रहीम और अजहर सिद्दीकी की ओर से दायर याचिका दायर में एलएचसी से विशेष अदालत में कार्यवाही बढ़ाने पर तब तक रोक लगाने के लिए कहा गया जब तक कि एलएचसी की ओर से मुशर्रफ की पूर्व की लंबित याचिका पर फैसला नहीं हो जाता।

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याचिका में, मुशर्रफ ने एक विशेष अदालत के गठन को चुनौती दी थी, जिसमें देशद्रोह और गैर कानूनी काम के आरोपों के तहत उनपर मुकदमा दायर किया गया था। मुशर्रफ ने यह नई याचिका इससे पहले इसी महीने तीन सदस्यीय विशेष अदालत की ओर से की गई उस घोषणा के बाद दायर की।

मुशर्रफ के खिलाफ तीन नवंबर, 2007 को इमरजेंसी लागू करने के लिए और दिसंबर 2007 के मध्य तक संविधान को निलंबित करने के लिए दिसंबर 2013 में मामला दर्ज किया गया था।

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पाकिस्तान सरकार को नोटिस

लाहौर हाईकोर्ट (एलएचसी) ने सोमवार को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के आवेदन पर पाकिस्तान सरकार को एक नोटिस जारी किया, जिसमें पूर्व में इस्लामाबाद में एक विशेष अदालत के समक्ष लंबित राजद्रोह मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था।