भयमुक्त रहने को करें मां कालरात्रि की आराधना….

by TrendingNews Desk

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते…
सातवां रूप कालरात्रि:

सुख, शान्ति एवम समृध्दि की मंगलमयी कामनाओं के साथ नवरात्र के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है| नवरात्र को लेकर देश भर में लोगों में उत्साह है। इस महापर्व के सातवें दिन मां के सातवें रूप कालरात्रि की आराधना की जाती है। इस दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र में स्थित रहता है।उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं।इस चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः मां कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है।मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं।जिससे साधक भयमुक्त हो जाता है।

पूजा की विधि  :

नौ दिन चलने वाले इस पर्व के सातवें दिन मां की पूजा कालरात्रि के रुप में की जाती है।मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मानी जाती हैं।इसलिए इन्हें शुभड्करी भी कहा जाता है।काल यानी समय और रात्रि का मतलब रात।जो सिद्धियां रात के समय साधना से मिलती हैं, उन सब सिद्धियों को देने वाली माता कालरात्रि हैं।

श्रद्धालुओं में उत्साह :

नवरात्र को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में लोगों के बीच गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। शहर के तमाम पूजा पंडाल सज-धज के तैयार हो गए है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दूर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। मां के भक्त नवरात्र के नौ दिनों तक उपवास रख कर मां की आराधना करते है। ऐसा माना जाता है नौ दिन तक मां के अलग-अलग रुपों की पूजा – अर्चना करने से माता की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।