क्यों मचा है लक्षद्वीप के प्रशासक को लेकर सियासी घमासान?

by Shatakshi Gupta

केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीपमें विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर #SaveLakshadweep भी ट्रेंड कर रहा है।यह सब प्रशासनिक सुधारों की एक श्रृंखला कीप्रतिक्रिया, जो दिसंबर 2020 से प्रशासन में बदलाव के बाद शुरू किए गए हैं,में हो रहा है।इन सब कानूनी बदलावों के पीछे हैंलक्षद्वीप के प्रशासक।

कौन हैं लक्षद्वीप के प्रशासक?

 प्रफुल्ल पटेल जो एक भाजपा नेता हैं,उन्हें दिसंबर 2020 में लक्षद्वीप के प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया है। इससे पहले वह गुजरात राज्य के पूर्व गृह मंत्री भी रह चुके हैं।

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कौन से नए बदलावों पे मचा है बवाल?

एक द्वीप पर जहां अपराध दर पहले से ही कम है, पटेल ने असामाजिक गतिविधि विनियमन विधेयक, 2021 या गुंडा अधिनियम को लागू करने का प्रस्ताव पेश किया। इस अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति कोबिना किसी मुकदमे के एक वर्ष तक की अवधि के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है।

दूसरा और सबसे प्रमुख कारण है, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 (एलडीएआर) का मसौदा। इसके तहत प्रशासक को नगर नियोजन या किसी विकासात्मक गतिविधि के लिए द्वीपवासियों को उनकी संपत्ति से हटाने या स्थानांतरित करने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा। मसौदा विधेयक सरकार को द्वीपवासियोंकेसंपत्ति रखने और बनाए रखने के अधिकार में सीधे हस्तक्षेप करने की मनमानी और अनियंत्रित शक्ति देता है।

नए प्रस्ताव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए द्वीपों पर शराब की दुकानों की शुरुआत का भी प्रस्तावहै, जो अब तक बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी के कारण प्रतिबंधित है।

पंचायत के नियमों में भी एक बदलाव लाया जा रहा है, जिसमें दो से अधिक बच्चे वाले लोग किसी भी पंचायत चुनाव के लिए लड़ने में असमर्थ होंगे।

कई बदलावों के बीच, गोमांस पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया है और स्कूलोंके मध्याह्न भोजनसे मांसाहारी भोजन को समाप्त करने का भी प्रस्ताव है। 

जहां तक ​​कोविड मानदंडों का सवाल है, पहले द्वीपों पर अनिवार्य रूप से 14-दिवसीय क्वारेंटाइन रखा गया था, लेकिन अब एक नकारात्मक आरटी-पीसीआर द्वीपों में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त होगा। इससे स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ गई है।

कौन कर रहा है विरोध?

द्वीपवासियों और सोशल मीडिया परलोगों के साथ-साथ लक्षद्वीप और पड़ोसी केरल के विपक्षी नेताओं ने चिंता का विषय उठाया है।

 केरल के सांसद हिबी ईडन ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने दावा किया कि पर्यटन क्षेत्र में कई सरकारी अनुबंधितकर्मचारियों को बिना किसी कारण के बर्खास्त कर दिया गया है।

इस द्वीप में 70,000 लोगों में से अधिकांश मछली पकड़ने और सरकारी सेवाओं पर निर्भर हैं, लेकिन नए प्रशासन ने तटीय विनियमन क्षेत्र का हवाला देते हुए मछुआरों की झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया,”हीबी ने आगे लिखा।

लक्षद्वीप सेराकांपा के सांसदमोहम्मद फैजल और पड़ोसी केरल के उनके सहयोगियों-टीएन प्रतापन (कांग्रेस), इलामाराम करीम (सीपीआई-एम) और ईटी मोहम्मद बशीर (मुस्लिम लीग) ने केंद्र से पटेल को वापस बुलाने का आग्रह किया है।

 राष्ट्रपति को लिखे पत्र में, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि लक्षद्वीप के वर्तमान प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने “सत्तावादी उपाय” किए हैं और उन्हें वापस बुलाने की मांग की है।हालांकि, केंद्र ने कहा है कि इन नए कानूनी बदलावोंसे विकास होगा।