कृष्णा जन्माष्टमी: भगवान श्री कृष्णा का जन्मदिवस, जाने इस पर्व के बारें में

by Upasana Verma
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हिन्दू पर्व कृष्णा जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्णा के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्णा का जन्म भाद्रपद अर्थात हिन्दू केलिन्डर के भादो माह के कृष्णा पक्ष के अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र मे में हुआ था। भगवान श्री कृष्णा को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। भगवान श्री का जन्म मथुरा में हुआ तथा इन्हे देने वाली माँ देवकी थी परन्तु इनका पालन पोषण गोकुल में माता यशोदा द्वारा हुआ। ज्योतिष गणना के अनुसार 2019 में भगवान श्री कृष्णा का 5245 व जन्म दिवस है। इस वर्ष भगवान श्री के जन्मोत्सव, जन्माष्टमी की दो तिथियां है। अष्टमी तिथि के अनुसार कृष्णा जन्माष्टमी 23 अगस्त को है तथा रोहिणी तिथि के अनुसार कृष्णा जन्माष्टमी 24 अगस्त को है।

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भगवान श्री कृष्णा के जन्मोत्सव पर मंदिर सजाये जाते और भगवान कृष्णा के भक्त उनके लिये व्रत भी रखते हैं। व्रत रखने के लिए सुबह स्नान करने के बाद संकलप मंत्र पढ़कर पूरे दिन बिना अन्न के उपवास रखा जाता है तथा बाल रूपी  भगवान श्री कृष्णा की पूजा की जाती है और उन्हे झूला झुलाया जाता। भगवान श्री कृष्णा की पूजा के लिए एक चौकी, पीला वस्त्र, भगवान श्री कृष्णा की बाल रुपी मूर्ति, गंगाजल, पंचामृत, दही, दूध, घी, दीपक, धूपबत्ती, शहद, चन्दन, अक्षत, तुलसी का पत्ता, मिश्री, सिंघासन और भोग सामग्री इन सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है। अर्द्धरात्रि को भगवान श्री कृष्णा का दूध, घी और जल से कृष्णाभिषेक किया जाता है और इसके पश्चात भगवान श्री कृष्णा को भोग लगाया जाता है। सामान्यात: भगवान श्री कृष्णा को भोग लगाने के लिये छप्पन भोग और पांच फल प्रस्तुत किये जाते हैं जैसे मक्खन, मिश्री, मालपुआ, रसगुल्ला, मोहनभोग, काजू, दही, खीर और अन्य व्यंजन ।

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हिन्दू पर्व कृष्णा जन्माष्टमी कृष्णा जन्मभूमि मथुरा तथा गोकुल और वृन्दावन में अत्यन्त धूमधाम से मनाया जाता है। संपूर्ण देश में लोग विभिन्न तरीकों से जन्माष्टमी मानते है और लोग घरों के बाहर झाकियां भी लगाते है तथा घर कई पाक पकवान और व्यंजन बनाये जाते हैं।

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