दिल्ली का दिल नहीं जीत पाए बीजेपी के ये सीएम कैंडिडेट

by Mahima Bhatnagar
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नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाए बैठी आम आदमी सरकार का कार्यकाल अब खत्म होने वाला है। जिसके बाद होने वाले चुनावों में पता चलेगा की कौन बनेगा दिल्ली का नया मुख्यमंत्री। जहां एकतरफ बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव में उतरती है। वहीं आम आदमी पार्टी सीएम अरविंद केजरीवाल के सहारे चुनाव मैदान में उतरती है।

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बीजेपी के इन चेहरो ने नहीं जीती दिल्ली की सीएम पद की सीट

बात करें दिल्ली में मुख्यमंत्री सीट के बारे में तो बीजेपी के कई ऐसे केंडिडेट हैं, जिन्होंने कभी भी दिल्ली का ताज नहीं जीता है। हमेशा कोशिश करने बाद उनके हाथ सिर्फ हार लगी है।

1998 में सुषमा को बनाया सीएम पद का चेहरा

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बीजेपी दिल्ली की सत्ता पर काबिज नहीं हो सकी। ये बात हम भी जानते हैं और आप भी। लेकिन कभी भी बीजेपी पीछे नहीं हटी। उन्होंने 1998 में  हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सुषमा स्वराज को दिल्ली का सीएम की रेस में उतारा। बीजेपी सुषमा स्वराज के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ी और पार्टी को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा। बीजेपी महज 15 सीटें जीतने में कामयाब रही थी।

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2003 में शीला बनाम मदनलाल खुराना के बीच रही जंग

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दिल्ली में 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी मदनलाल खुराना को कांग्रेस की शीला दीक्षित के सामने सीएम फेस बनाकर मैदान में उतरी थी और इस बार खुराना का जादू फीका रहा। 2003 के चुनाव में बीजेपी को महज 20 सीटें ही मिल सकी थीं। जिसके कारण एक बार फिर बीजेपी हार गई।

2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी डॉ. हर्षवर्धन उम्मीदवार

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इसके बाद 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी डॉ. हर्षवर्धन को सीएम फेस बनाया गया। इस बार हर्षवर्धन बीजेपी को दिल्ली में 31 सीटें जिताकर सबसे बड़ी पार्टी बनाने में कामयाब रहे थे, लेकिन बहुमत से पांच सीटें दूर बीजेपी सरकार नहीं बना सकी। जिसके कारण आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी। हालांकि यह सरकार महज 49 दिन में ही ये सरकार गिर गई।

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किरण बेदी के नेतृत्व में बीजेपी की सबसे बुरी हालत

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इसके बाद 2015 में विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी इस बार पूर्व आईपीएस किरण बेदी को सीएम फेस घोषित कर मैदान में उतरी थी। अरविंद केजरीवाल के सामने बीजेपी का यह दांव भी नहीं चल सका। किरण बेदी खुद भी हारीं और पार्टी को महज 3 सीटें ही मिल सकीं। बीजेपी की लगातार हार से सबक लेते हुए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली में किसी भी चेहरे को आगे करके मैदान में उतरने की मन बनाया है। अब देखना है कि इस बार बिना चेहरे के बीजेपी क्या करिश्मा दिखाती है।

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