लोकसभा में आसानी से पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल, अब राज्यसभा में पेश होने की बारी

by Mahima Bhatnagar
BJP

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में बहुत आसानी से पास हो गया। जिसके बाद अब मोदी सरकार इस विधेयक को बुधवार को राज्यसभा में पेश करेगी। वहीं इस बिल को लेकर कई लोग खुश दिखाई नहीं दे रहे हैं। साथ ही इसके खिलाफ प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं।

इन पार्टियों ने दिया समर्थन

नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में शिवसेना, जेडीयू, बीजेडी और पूर्वोत्तर के कुछ दलों के साथ आने की वजह से सरकार को इस बिल को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं हुई। लोकसभा में इस बिल के पक्ष में करीब 311 वोट पड़े। जबकि विपक्ष में 80 वोट। जिसके बाद अब मोदी सरकार इसके साथ राज्यसभा पहुंचेगी। जहां वो इसे पेश करेगी। लेकिन बात सिर्फ एक है कि, लोकसभा में जितना आसान इस पास कराना था, उतनी चुनौती राज्यसभा में सामने आने वाली है।

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इन समुदाय को इस प्रस्ताव में मिली जगह

नागरिकता संशोधन विधेयक में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, बांग्लादेश, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इसमें मुस्लिन समुदाय को बाहर रखा गया है।

बता दें कि केंद्र सरकार को इन्हीं दलों के विरोध के कारण राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा कराने से पीछे हटना पड़ा था। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर काफी भड़के हुए दिखाई दे रहे हैं। लेकिन मोदी सरकार इसके पास होने पर काफी खुश नजर आ रही है।

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हालांकि पिछले दो सालों में बीजेपी और एनडीए की ताकत राज्यसभा में बेहतर हुई है। राज्यसभा में कुल सदस्य 245 हैं, लेकिन पांच सीटें रिक्त हैं, जिसके चलते फिलहाल कुल सदस्यों की संख्या 240 है। मतलब ये कि अगर सदन के सभी सदस्य मतदान करें तो बहुमत के लिए 121 वोट की जरूरत पड़ेगी।

राज्यसभा में मोदी सरकार का आंकड़ा

नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा में जिन दलों ने समर्थन किया है। इस लिहाज से राज्यसभा में आंकड़ों को देखें तो यह संख्या 121 है। इनमें बीजेपी के 83, बीजेडी के 7, एआइएडीएमके के 11, अकाली दल के 3, शिवसेना के 3, जेडीयू के 6 वाईएसआर कांग्रेस के 2, एलजेपी के 1, आरपीआई के 1 और 4 नामित राज्यसभा सदस्य हैं।

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विपक्ष के पास 100 सदस्य

नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष का जिस तरह से रुख है। इसके बावजूद विपक्ष राज्यसभा में इस विधेयक को रोकने में बहुत मजबूत स्थिति में नजर नहीं आ रहा है। राज्यसभा में कांग्रेस के 46, टीएमसी के 13, सपा के 9, वामदल के 6 और डीएमके के 5 और आरजेडी, एनसीपी और बसपा के 4-4 सदस्य हैं। इसके के अलावा टीडीपी के 2, मुस्लिम लीग के 1 पीडीपी के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस के 1 और टीआरएस के 6 सदस्य हैं। इस तरह विपक्ष के पास 100 सदस्य होते हैं।

अब देखने वाली बात ये होगी की जितनी आसानी से लोकसभा में पास हुआ ये बिल। राज्यसभा में कितना चुनौतीपूर्ण रहेगा इसका सफर।