जानें कब-कब विवादों में रहा जेएनयू

by Mahima Bhatnagar
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नई दिल्ली। जेएनयू बीते कुछ समय से काफी विवादों में रहा है। कन्हैया कुमार के नारेबाजी के बाद 5 जनवरी 2020 को हुई हिंसा के कारण एक बार फिर विवादों के चक्रव्यू में घिर गया है जेएनयू। हाल ही में फीस वृद्धि को लेकर भी जेएनयू के छात्रों में आक्रोश देखे को मिला। जिसमें विवेकानंद की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

9 फरवरी 2016 को विरोध प्रदर्शन

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जेएनयू में 9 फरवरी 2016 को कुछ अज्ञात युवकों ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू को मौत दिए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे भी लगाए थे। इसी के आरोप में तत्कालीन जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। इस घटना के बाद अचानक से कन्हैया कुमार और जेएनयू सुर्खियों में आ गए।

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हॉस्टल फीस वृद्धि

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जेएनयू के उस समय सड़कों पर उतर आए थे जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने हॉस्टल फीस वृद्धि की घोषणा की थी। छात्र राष्ट्रपति से मुलाकात करने की मांग करते हुए राष्ट्रपति भवन तक मार्च किए। इस दौरान पुलिस ने छात्रों पर लाठी चार्ज और पानी की बौछार भी की। अकेले कमरे के लिए फीस 20 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये करने का फैसला किया गया था, जबकि दो लोगों वाले कमरे के लिए यह 10 रुपये के मुकाबले 300 रुपये रखने का प्रस्ताव था। इस घटना ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं।

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विवेकानंद की प्रतिमा के पास लिखा गया था अपशब्द

हॉस्टल फीस में वृद्धि कर रहे छात्रों पर आरोप लगा था कि कुलपति से बात करने के लिए प्रशासनिक खंड में घुस गए थे। यहां की दीवारों पर कुलपति के बारे में कई बातें लिखी थीं। इसके साथ ही परिसर में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा में पैरों की ओर कई आपत्तिजनक संदेश भी लिखे हुए थे, जिनका लक्ष्य दक्षिणपंथी संगठन थे। ज्ञात हो कि प्रतिमा का अब तक अनावरण नहीं हुआ है। कुलपति एम जगदीश कुमार ने कहा था कि वीडियो और फोटो के सबूत पुलिस को सौंपे गए हैं। इसकी जांच की जा रही है।

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नकाबपोशों ने की हिंसा, कई घायल

जेएनयू परिसर में रविवार को लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया, परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जिसके बाद प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा। इस हिंसा के दौरान दो दर्जन से अधिक छात्र घायल हो गए। AIIMS में इलाज करने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। जेएनयू के पूर्व छात्र तथा केन्द्रीय मंत्री एस. जयशंकर और निर्मला सीतारमण ने जेएनयू में हुई हिंसा की घटना की निंदा की है। सीतारमण ने कहा कि सरकार चाहती है कि विश्वविद्यालय सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित स्थान बने।