राज्यसभा में गूंजा अनाज मंडी का अग्निकांड

by Mahima Bhatnagar
Rajya sabha

नई दिल्ली।  संसद में इस हादसे में मरने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी गई और दो मिनट का मौन रखा। वहीं इस मामले में राज्यसभा में चर्चा की शुरूआत करते हुए बीजेपी सांसद विजय गोयल ने कहा कि, उपहार कांड से हमने कुछ नहीं सीखा।

कब बंद होंगे ऐसे हादसे

विजय गोयल मे कहा कि, में दमकलकर्मियों और पुलिसवालों का शुक्रियादा करता हूं कि, उन्होंने 60 से ज्यादा लोगों की जान बचाई। साथ ही उन्होंने कहा कि, मैं किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहा हूं। आज चांदनी चौक में ऐसे कई और इमारतें हैं जहां छोटी-छोटी फैक्ट्री है, जहां ये हादसे दोबारा हो सकते हैं। इनके लिए हमे जल्द से जल्द ढोस कदम उठाने होंगे।

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आम आदमी पार्टी ने भी उठाई आवाज

वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि, हादसे में मरने वाले 43 लोग यहां मजदूरी करने के लिए आए थे। बाहर से ताला बंद था और अंदर हवा आने के लिए कुछ नहीं था। इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस मामले में सबकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए चाहे उसमें एमसीडी हो, दिल्ली सरकार हो या फिर डीडीए हो। ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो।

गौरतलब है कि यह घटना तड़के करीब साढ़े तीन बजे की है। रिहायशी इलाके की एक इमारत में चल रही फैक्टरी में आग दूसरी मंजिल से शुरू हुई। भूतल और पहली मंजिल के लोग तो निकल गए पर तीसरे और चौथे माले पर 65 लोग फंसे रह गए। जलने से चार लोगों की मौत हुई, जबकि बाकी सबका दम घुट गया।

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सो रहे थे श्रमिक : घटना के वक्त सभी लोग सो रहे थे, इसलिए उन्हें तुरंत आग का पता नहीं चला। दमकल की 21 गाड़ियों ने करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद आग को काबू किया।

कई अस्पतालों में भर्ती : फंसे हुए लोगों को निकालकर लेडी हार्डिंग, एलएनजेपी व आरएमल अस्पताल में भर्ती कराया गया। मृतकों में अधिकतर बिहार के रहने वाले थे। इस चार मंजिला इमारत में प्लास्टिक उत्पाद बनते थे।

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अग्निशमन सेवा के कर्मचारी राजेश शुक्ला जान पर खेलते हुए धुएं के गुबार के बीच इमारत के भीतर पहुंचे। एक-एक कर 11 लोगों को वह अपने कंधे पर बाहर लेकर आए। जीवित बचे लोगों के लिए राजेश किसी मसीहा से कम नहीं थे। इमारत में फंसे लोग खुद को बचाने की गुहार लगाते रहे। लेकिन कुछ ही पल बाद आवाजें बंद होने लगी। कुछ को बदहवास हालत में बचाव दल ने निकाला। इस दौरान पीड़ित परिजन अपनों की तलाश में भटकते रहे। उन्हें कुछ पता नहीं चल रहा था।